यूनियन कार्बाइड ने स्थापित किया था अमेरिका का सेकंड हैंड प्लांट
ललित शास्त्री ,वरिष्ठ पत्रकार, द हिन्दू |
आज भोपाल गैस ट्रेजेडी के ३५ वर्ष हो जाएंगे । इस भीषण तबाही के विषय में सोचने में भी पीड़ा होती है । इस दुर्घटना में हज़ारो जानें गयीं । जो सो रहा था वो सोता ही रहा । जान के साथ-साथ माल को भी भरी क्षति पहुंची। जो जानवर खूंटे में बंधे रहे उन्होंने वहीं अपने प्राण त्याग दिए । इस दुर्घटना से लाखों लोग प्रभावित हुए ।
इन्ही मसलो पर, भोपाल डिजास्टर – एन विटनेस अकाउंट के लेखक ललित शास्त्री से बात की ।
पेश है अंश :
प्र. भोपाल गैस ट्रेजेडी पर लिखने की प्रेरणा कहा से आई आपको ?
उ. पिताजी की अभिलाषा थी की मैं आई.ए.एस बनूं। मुॅंबई में नौकरी करते वक्त यू.पी.एस.सी के प्रारंभिक प्ररीक्षा उत्तीर्ण की। भोपाल में उसकी मेन परीक्षा थी। उसी दौरान जब मैं गैस पीड़ितों से मुखातिब हुआ तब से ही मैंने यह निश्चय किया कि मैं भोपाल में हुइ भीषण दुर्घटना जिम्मेदारों का पर्दाफास करूँगा।
प्र. आप इस ट्रेजेडी का जिम्मेदार किसे मानते हैं ?
उ. मैं इसमें अफ़सरशाही को दोषी मानता हूं। जिनकी लापरवाही से सुरक्षा सावधानिया नहीं बरती गयी। जैसे एक इकाई होती थी जिसकी जिम्मेदारी कॉस्टिक सोडा को चार्ज रखने की होती थी ,जो गैस को न्यूट्रलाइस करती थी। उस वक्त वो भी चार्ज नहीं था । साथ ही साथ सेफ्टी वाल्व भी काम नहीं कर रहे थे । शावर सिस्टम भी ठप्प पड़ा था। उनका पूरा सिस्टम धराशाही हो गया था। रिकॉर्ड के अनुसार बार-बार शिकायतें आने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं की जा रही थी ।
प्र. भोपाल के और अमेरिका के यूनियन कार्बाइड में क्या अंतर है ?
उ. अमेरिका के यूनियन कार्बाइड कार्परेशन ने एक सेकंड हैंड प्लांट भोपाल में स्थापित कर दिया। जो पूर्ण रूप से अस्वीकृत था। इधर उनने यह प्लांट स्थापित कर दिया वहां वेस्ट वर्जिनिआ में इसी का एक और प्लांट स्थापित कर दिया। इन्होने अपने लिया तो एडवांस सिस्टम लिया था लेकिन हमको एक अपरिपक्व प्लांट थमा दिया। मुख्य बात थी की उन्होंने अपने प्लांट में कम गैस संग्रहित कर के राख्खी थी। यह मात्रा फैलने पर नियंत्रित की जा सकती थी। वही दूसरे हाथ में उन ने भोपाल में अधिक मात्रा में गैस संग्रहित कर दी।
प्र. जब आप कई नौकरशाहों व सत्ताधारियों के विपक्ष में लिख रहे, उस समय क्या आपने कभी किसी प्रकार का दवाब महसूस किया ?
उ. जब मैं अखबार में गैस ट्रेजेडी के बारे में लिखता था तो उस समय सत्ताधारियों को बड़ा कष्ट होता था। जिस अखबार में मैं लिखता था ,उसके मालिक को कह कर के उन्होंने मुझे वहां से हटावा दिया। कहने लगे की शास्त्री जी अब से त्रासदी के विषय मे नहीं लिखेंगे। उस समय भी मीडिया को इस प्रकार से नियंत्रित किया जाता था।
प्र. आप भोपाल त्रासदी में सरकार द्वारा चलाई गई रहत नीतियों को कितना सफल मानते हैं ?
उ. इस पुरे आकड़े बाजी में , जो पीड़ित हैं उन्हें बुरी तरह से नजरअंदाज़ किया गया है। जैसे , लोगो का आर्थिक पुनर्वास होना था । जिसके लिए कई शेड्स बनाये गए थे, वहां पर लोगो को प्रशिक्षण किया जाना था। इसकी जिम्मेदारी एन.जी.ओ को दी जाने लगी । कुछ दिनों क बाद वो भी नाकाम हो गए ।
कई लापरवाहीयाॅं सरकार आज भी कर रही है , जिस स्थान पर नगर निगम को सबसे ज्यादा ध्यान जाना था वहीं साफ़ सफाई सबसे कम है । जहा बाग-बगीचे होने चाहिए थे वही इलाका हरियली से वंचित है । यही सब गलतियाॅं हैं, जिसके कारण सरकार गैस पीड़ितों को इन्साफ दिलाने में से वंचित रही।
प्र. क्या आप भोपाल गैस त्रासदी के वर्त्तमान परिप्रेक्ष्य पर फिर से किताब लिखना चाहेंगे ?
उ. मैटर बहुत हैं ,मैं अपनी इसी किताब (भोपाल डिजास्टर - न. आई .विटनेस ) का सेकण्ड वॉल्यूम निकल सकता हूँ।
Excellent writing skills.
ReplyDeleteNice 🙏🙏👍👍
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